हम सब जानते है कि प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने 19 मार्च 2020 को ये आह्वान किया कि कोरोना वायरस से लड़ाई कि मुहीम में हम जनता कर्फ्यू करेंगे और सभी भारतीय उस दिन घर में ही रहेंगे । शाम 5 बजे सभी अपनी अपनी बालकनियों में आकर शंखनाद करेंगे और थालियां और तालियां बजायेंगे ।
इस लाइलाज वायरस से लड़ाई के लिए पूरा दिन घर में बैठना समझ में आता है पर शाम को तालियन और शंख बजाने से क्या होगा? इसका जवाब सइंटिफ़िकेल्ली मिला और प्रमाण मिला रामायण के छठे काण्ड में। शास्त्रों में भी वर्णित है कि शंख कि ध्वनि से बैक्टीरिया मरते है और वायु शुद्ध होती है।
रामायण के छटे कांड ‘युद्ध कांड / लंका कांड’ में जब राम वानर सेना के साथ लंका के प्रवेश द्वार पर आ जाते हैं और रात्रि के समय लक्ष्मण , सुग्रीव , विभीषण, हनुमान, अंगद, जामवंत आदि के साथ मन्न्त्र्णा कर रहे होते हैं तब उन्हें बिजली की चमक का आभास होता है और नृत्य गान की आवाज़ें सुनाई देती हैं।
राम: बिन बादल बिजली और वो भी दक्षिण दिशा से और kya चन्द्रमा की चमक कुछ अधिक नहीं है ?
विभीषण: चौकिये मत प्रभु, न तो ये चमक चन्द्रमा की है और न ही बिजली । त्रिकूट पर्वत पर रावण का विलास भवन है। रावण इस समय संगीत और नृत्य की सभा जोड़ कर आमोद प्रमोद में मगन है। वही पर रानी मंदोदरी के कानो के कर्णफूल हिल हिल कर चन्द्रमा की चमक का भ्रम उत्पन्न कर रहे है। और रावण का मुकुट सिंहासन में से बिजली की आभा का बोध करा रहा है।

लक्ष्मण: आश्चर्य? शत्रु अपने दाल बल के साथ, विशाल सागर लांघकर आपसे सिर पर बैठा है और किसी भी क्षण लंका पर चढ़ाई कर सकता है और दशानन रावण भोग विलास में लीन?
विभीषण: हे सौमित्र, रावण जो कर रहा है, इसमें उसकी कुशल रणनीति है।
लक्ष्मण: इसमें रणनीति कहाँ है? इससे तो यही सिद्ध होता है की रावण को हमारे आने की सूचना ही नहीं।
विभीषण: यही तो वो दिखाना चाहता है। उसे हमारे आने की पूरी सूचना है। हमारा एक कदम आगे बढ़ता है, उसे तुरंत सूचना मिल जाती है। इसीलिए वो आपके सिर पर आ जाने के बाद भी, चिंता मुक्त रहने का प्रदर्शन कर रहा है। इससे शत्रु के हृदय पर उसकी धाक जम जाए और लंका की प्रजा में युद्ध का आतंक न फैले ।
आप सोच रहे होंगे कि मैं आपको ये प्रसंग क्यों बता रहा हूँ? जब 22 मार्च इतवार को जैसे ही ५ बजे, लोगों ने तालिआं बजानी और शंख फूंकना शुरू किया तो एक दम उत्सव का माहौल बन गया। एक महीने से जो डरे हुए लोग थे, शायद वे अपना डर भूल गए थे और मIनो कोई उत्सव मना रहे हों। मनोवैज्ञानिक तरीके से ही सही सब भारतीयों ने कोरोना वायरस को जैसे हरा दिया ।
One thought on “जनता कर्फ्यू और रामायण… कोई कनेक्शन?”
This is very unique & good fact you told to us.. Thanks