रावण कौन था ? ये सवाल सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है? एक ऐसा राजा जो अपनी बेहेन के कहने पर एक परायी स्त्री को उठा लाया और युद्ध में अपने सारे सगे सम्बन्धी मरवा दिए? तो दोस्तों आज हम जानेंगे रावण के बारे में 10 बातें जो आपको सोचने पर मज़बूर कर देंगे की क्या रावण सच में बुरा था ?
1) रामायण के अनुसार रावण के पिता विश्रवा थे तो ऋषि पुलत्स्य के पुत्र थे। रावण की माता कैकसी थी जो राक्षस कुल की थी इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता का संतान था और रावण कई विद्याएं, वेद, पुराण, नीति, दर्शनशास्त्र, इंद्रजाल आदि में पारंगत होने के बावजूद भी उनकी प्रवृत्तियां राक्षसी थी और पूरे संसार में आतंक मचाता था।
2) भागवत पुराण के अनुसार , भगवान विष्णु के दो द्वारपाल थे जय और विजय , उन्होंने सनकादीक मुनियो को बैकुंठ में प्रवेश से रोक दिया , तब उन्होंने क्रुद्ध होकर उन् वो श्राप दिया की तुम राक्षश हो जाओ । उन् दोनों ने मुनियो के पैर पकड़ लिए तब सनकादीक मुनियो ने कहा की आप लोग ३ बार धरती पर जनम लेंगे किन्तु आपका उद्धार नारायण के हाथो ही होगा । सतयुग में हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष , त्रेतायुग में रावण और कुम्भकर्ण द्वापर युग में शिशुपाल और दन्तवक्र। त्रेतायुग में रावण के रूप में धरती पर आए।
3) जिस नाम से रावण को जानते है वह उसका असली नाम नहीं था। जन्म के समय उसका नाम दशानन था जिसका मतलब है दस सर वाला। एक बार जब रावण अहंकार में कैलाश पर्वत को अपनी जगह से हटाने का प्रयास कर रहा था तब भगवान शिव ने अपने पैर से कैलाश को दबा दिया। इस वजह से रावण के दोनों हाथ कुचल गए। तब रावण ने उच्च स्वर में शिव की उपासना शुरू की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें रावण नाम दिया। अर्थात जिसके रुदन में भी शेर की तरह दहाड़ हो । रावण के उस स्त्रोत को शिव तांडव सत्रोत कहते हैं । शिव जी ने प्रसन्न होकर रावण को चन्द्रहास खडग भी दिया ।
4) रावण वीणा बजाने में पारंगत था । श्री लंकाँ रामायण के अनुसार जब रावण कैलाश पर्वत उठाने लगा तब शिवजी ने अपने पैर का अंगूठा पर्वत पर रखा जिससे रावण के पैर दब गए ।तक शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रावण ने एक हाथ से अपनी दूसरी भुजा उखाड़ ली और नसों को स्ट्रिंग्स की तरह बांधा और उच्च स्वर में शिव तांडव सत्रोत गाया । इस तरह की वीणा को रावणहतथा कहा जाता है । इस वीणा को सर्वप्रथम रूद्र भगवान् को प्रसन्न करने के लिए बजाया था , इसीलिए इसे रूद्र वीणा भी कहते हैं । इस वीणा को माँ सरस्वती के हाथो में देखा जा सकता है । इसके आधुनिक रूप को जैसलमेर में ही देखा जा सकता है ।
5) 2554 BC to 2517 BC यही वो टाइम था जब श्रीलंका ने सबसे ज्यादा ग्रो किया रावण का शाशनकाल ।।। इसीलिए व्हा रावण की पूजा होती है । सिर्फ श्री लंका ही नहीं दक्षिणी भारत और दक्षिण पूर्वी भारत कानपूर का कैलाश मंदिर जो केवल दशहरे को खुलता है उस दिन रावण की विधिवत पूजा होती है । आंध्र प्रदेश और राजस्थान में ही रावन को पूजते हैं ।
6) 1903 में राइट ब्रदर्स को विमान का आविष्कारक माना जाता है , लेकिन रावण के पास उस समय में पुष्पक और उस जैसे और भी विमान थे ।
श्रीलंकन सरकार के मुताबिक मयांगना में विरंतहोता , हॉर्टन प्लेंस में थोटूपुरा केंडा और कुरुगाला में वैरिअपोला। ये वो हवाई अड्डे हैं जहां रावण के विमान उतरते थे ।
7) रावण वीर योद्धा होने के साथ साथ ज्योतिष विद्या का भी ज्ञानी था। अरुण संहिता अर्थात लाल किताब । हम लोगो ने कभी न कभी लाल किताब के बारे में जरूर सुना होगा , तो दोस्तों रावण ने ही लाल किताब की अचना की थी , इसमें हस्त रेखा जनम कुंडली और सामुद्रिक शास्त्रों का विस्तृत वर्णन किया गया है ।कहा जाता है जब मेघनाथ का जनम होना था उस वक़्त अपने पुत्र को अमर करने के लिए सारे नक्षत्रों को निर्धारित 11वे स्थान पर होने को कहा था। उस समय शनि अपनी जगह से हट गया। और 12वे स्थान पर आ गए । इस बात का पता चलते ही रावण ने शनि को बंदी बना लिया था।
8) रावण एक कुशल योद्धा था । उसने बहुत से युद्ध लड़े कुछ सेना के साथ और कुछ अकेले । एक बार वो युद्ध लड़ते हुए यमपुरी जा पंहुचा और यमराज को युद्ध के लिए ललकारा । रावण ने न केवल यमराज को पराजित किया वरन सारी पाप आत्माओ को मुक्त करा कर अपनी सेना में शामिल किया ।
9) रावण एक आदर्श भाई था । अपनी बहन शूर्पणखा के नाक कान कटे देख कर बिना निति-अनीति की परवाह किये श्रीराम की भार्या को उठा लाया और रघुपति से युद्ध किया । जब कुम्भकरण ब्रहमा जी से इन्द्रासन मांगने वाले थे किन्तु सरस्वती के जिव्हा पर बैठने के कारन कुम्भकरण ने निन्द्रासन मांग लिया । तब रावण ने ब्रह्माजी से विनती की अगर केवल सोता रहेगा तो आपकी बनाई सृस्टि को क्या देखेगा? तब ब्रह्माजी ने इस अवधि को 6 महीने कर दिया था । इससे रावण का भ्रातृ -प्रेम दीखता है ।
10) रावण एक आदर्श पति था । थाई रामायण के अनुसार ,जो यज्ञ वह कर रहा था अगर वो संपन्न हो जाता तो वो अमर हो जाता । किन्तु जब अंगद रावण के सम्मुख मंदोदरी को बालो से खींचते हैं तब रावण उस यज्ञ का अनुष्ठान बिच में ही छोड़ देता है जिससे वो अकेला पूरी राम सेना को ख़तम कर सकता था । इससे रावण का पत्नी के लिए प्रेम दीखता है ।